वृक्ष है तो जीवन है
प्रकृति को संवारें, पर्यावरण को बचाएं, हरियाली से भविष्य को सुरक्षित बनाएं।
🌱 हमारे बारे में (About Us)
संगठन का परिचय:
लक्ष्य भारत फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसे 2022 में पंजीकृत किया गया। हम वृक्षारोपण, जल संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहे हैं।
अध्यक्ष का संदेश:
"पेड़ लगाना सिर्फ एक कार्य नहीं, यह हमारी संस्कृति और प्रकृति के प्रति कर्तव्य है। वृक्ष ही भविष्य हैं। आइए, मिलकर इस मिशन को जन-आंदोलन बनाएं।"
— इ० ए०पी० सिंह, अध्यक्ष
🌳 वृक्षारोपण हमारा पुण्य कर्तव्य
दस कूप सम वापी, दस वापी समहदः। समहद् पुर्णे दश वाप्यस्तु, दश वाप्यः समो द्रुमः।।
दस कुओं के बराबर एक बावड़ी होती है। दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक वृक्ष और दस वृक्षों के बराबर एक पुत्र होता है। इस श्लोक का तात्पर्य यह है कि वृक्ष पुत्र के समान होता है। वृक्षों की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए सभी मनुष्यों को अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर पर्यावरण संतुलन एवं जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए। किसी राजा के महान कार्यों को यदि ताम्र पत्रों में लिखा जाए, तो उससे उत्तम शास्वत कार्य वृक्षारोपण है।
🌱 वृक्षारोपण के कारण:
- प्रथम: जीव विविधता और पर्यावरण संतुलन प्राप्त होता है। वृक्ष वायु को शुद्ध करते हैं।
- दूसरा: विविध प्राणियों को जीवन मिलता है जिससे प्राकृतिक संतुलन बना रहता है।
- तीसरा: वनों का निर्माण होता है, वर्षा में वृद्धि और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- चौथा: जल संचयन, भूमि संरक्षण और जल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- पाँचवा: आर्थिक लाभ जैसे लकड़ी, फल और अन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं।
- छठा: तनाव घटता है, स्वास्थ्य लाभ और मानसिक समृद्धि मिलती है।
🌳 वृक्षारोपण कैसे करें:
- ऐसे पौधों का चयन करें जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त हों।
- ऐसा स्थान चुनें जो पानी और धूप के अनुसार उचित हो।
- पौधों की 3 वर्ष तक शिशु की भांति देखभाल करें – पानी, खाद, कीटनाशक देना न भूलें।
- जानवरों से सुरक्षा हेतु बाड़ लगाएं।
- सामूहिक सहयोग और प्रोत्साहन से अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं।
- जनजागरूकता फैलाएं और लोगों को वृक्षारोपण के महत्व से जोड़ें।
नोट: आइए सभी से आग्रह है कि इस पुण्य कार्य में जन सहभागिता के द्वारा वृक्षों का संरक्षण करें और उन्हें बढ़ाने में सहयोग दें।
– इ० अयोध्या प्रसाद सिंह
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